दुनिया के सबसे बड़े जासूस की कहानी। Biography of Eli Cohen , Eli Cohen,SPY, Mossad, Israel , eli cohen in hindi
Biography of Eli Cohen , Eli Cohen,SPY |
दोस्तों युद्व दो प्रकार से लड़ा जाता हैं एक तो हमारी आर्मी, नेवी, एयर फोर्स लड़ती है लेकिन एक युद्व पर्दे के पीछे से भी लड़ा जाता है और इसे जासूस लड़ते हैं ये तब लड़ते हैं जब कोई युद्व नहीं हो रहा होता है।
दुनिया भर के जासूस अलग अलग देशों में फैले होते हैं और भारत के भी जासूस पाकिस्तान और चाइना तक फैले हुए हैं ये वहाँ की खुफिया खबरों और संदिग्ध गतिविधियों को अपने देश तक पहुंचाते हैं। जब जासूसों की बात होती है तो इसमें एली कोहेन का नाम सबसे पहले आता है जासूसों में इनको सबसे बेहतरीन जासूस माना गया है। एली कोहेन जब सीरिया में इजराइली जासूस बनकर गए थे तो वहाँ के लोगों का इतना दिल जीत चुके थे कि एक समय मे ये वहाँ के राष्ट्रपति बनने वाले थे लेकिन फिर इनका पर्दाफास हो गया और सीरिया की सरकार ने इन्हें फाँसी की सजा सुनाई। और 18 मई 1965 को इन्हें बीच चैराहे पर सरेआम फाँसी दी गई।
● आइये जानते हैं इस रियल हीरो की वास्तविक कहानी।
◆ प्रारंभिक जीवन (Early life)
एली कोहेन का जन्म 26 दिसंबर 1924 को इजिप्ट के अलेक्जेंड्रिया में हुआ था इनके पिता एक यहूदी थे लेकिन माता सीरियन थी ये पैदा भी सीरिया में हुए और इनका नाक नक्स सब सीरियाई लोगों जैसा ही था और लोग भी इन्हें अरबी ही बोलते थे लेकिन एली कोहेन का दिल हमेशा इजराइल के लिये धड़कता था इनके अन्दर यहूदी की भावना कूट कूटकर भरी हुई थी कि हमे अपनी भूमि चाहिए।बहुत बड़े देश भक्त थे ये तभी ये अपने देश के लिए इतना बड़ा बलिदान दे पाय।
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◆शिक्षा (Education)
कहानी आगे बढ़ती है इनकी शुरूआती शिक्षा इजिप्ट में हुई । ये इलेक्ट्रॉनिक की पढ़ाई कर रहे थे। जब 1947 में यहूदियों ने इजिप्ट में आंदोलन छेड़ दिया तो इजिप्ट की आर्मी का अत्याचार बढ़ने लगा और वो यहूदियों को पकड़ पकड़कर मरने लगे तो इनके माता पिता इनके छः भाई बहनों को साथ लेकर इजराइल चले गए । लेकिन ये इजिप्ट में रुक गए क्योंकि अभी एली कोहेन की पढ़ाई पूरी नही हुई थी और ये इजिप्ट में उस आंदोलन को बल भी दे रहे थे साथ ही इजिप्ट में अपने साथियों के साथ यहूदियों को सुरक्षित बाहर भी निकाल रहे थे। क्योंकि इजिप्ट की आर्मी यहूदियों को मार रही थी।इस काम मे इन्हें और इनके साथियों को कई बार इजिप्ट की फ़ोर्स ने गिरफ्तार किया और राष्ट्रद्रोह का मुकदमा भी चलाया लेकिन कभी भी इनके खिलाफ सबूत नही जुटा पाए कि ये यहूदियों को बाहर निकालने में उनकी मदद कर रहे है कोहेन शुरू से खतरों के खिलाड़ी थे और ये शुरू से एक जासूस बनना चाहते थे लेकिन इनके अंदर एक खामी थी कि ये अपने आप को बहुत ज्यादा महत्व देते थे। और इसी कारण से इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इन्हें दो बार चयन करने से इनकार भी कर दिया था।
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◆ संघर्ष
ये शुरू से कहते थे कि मुझे मोसाद में जाना है और इसीलिए इन्होंने मोसाद का टेस्ट भी दिया तो मोसाद के अधिकारियों ने भी कहा एली कोहेन में कमाल की योग्यता है लेकिन समस्या ये थी कि कोहेन अपने आपको हीरो मानते थे इसीलिए मोसाद ने इन्हें रिजेक्ट कर दिया क्योंकि मोसाद ये जानता था की ये अपने आपको सबसे ज्यादा महत्व देते हैं इसीलिए एक न एक दिन इनका पकड़ा जाना तय है और एक जासूस का जीवन तो बहुत ही खतरनाक होता है क्योंकि इसमें जासूस के पकड़े जाने पर उनकी खुद की सरकार ये भी नही बोलेगी की ये शख्स हमारे देश का है और तो और जब एक जासूस पकड़ा जाता है तो उसे बहुत ही खतरनाक सजा भी दी जाती है
◆ जासूसी का दौर
एली कोहेन ने दो बार मोसाद का टेस्ट दिया लेकिन दोनों बार रिजेक्ट कर दिए गए इसपर इन्हें काफी गुस्सा आया लेकिन शांत हो गए और 1957 में ये Assistance of the Jews Agency में काम करने लगे और कुछ समय बाद ये क्लर्क के पद पर आ गये। लेकिन ये अपने काम से संतुष्ट नहीं थे एक दिन ऐसा हुआ कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के डायरेक्टर जनरल Meir Amit किसी ऐसे शख्स की तलाश कर रहे थे जो सीरिया में जाकर वहाँ की सरकार की सारी खुफिया खबरे उन तक पहुंचा सके इसीलिए वो रिजेक्ट हुए कैंडिडेट की फाइल देख रहे थे ताकी वो उनमे से किसी एक को चुन सके और तब उनकी नजर एली कोहेन की फाइल पर पड़ी तो उसमें था कि एली कोहेन को अरबी भाषा का अच्छा ज्ञान था और इनकी मेमोरी पॉवर की चर्चा भी की गई थी मीर अमित ने कोहेन को बुलाया और उन्हें मोसाद में भर्ती कर लिया।
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आखिर कर एली मोसाद में आ गये इनका सपना साकार हो गया लेकिन 4 सालों तक कुछ खास काम हांसिल नही हुआ और फिर 1960 में मोसाद ने इन्हें जासूस बनाया पूरे 6 महीने तक इनकी ट्रेनिंग चली फिर इनको एक नई पहचान दी गई। सीरिया में जाने की इसीलिए इन्हें क़ुरान अच्छे से सिखाया गया और सीरिया की भाषा बोली और उनके रहन सहन के बारे में अच्छे से बताया गया।और एक व्यपारी के तौर इन्हें सीरिया भेजा गया।जोकि बहुत बड़ा व्यपारी है और ये अर्जेन्टीना से आया है
सबसे पहले इन्हें अर्जेंटीना में भेजा गया वहाँ पर ये अपनी पहचान बढ़ाने के लिए बड़ी बड़ी पार्टी देते थे जिसमें सीरिया के बड़े बड़े नेताओ को भी बुलाया जाता था और ये उन्हें बहुत महँगे महँगे तोहफे देते थे ताकि वो खुश रहें और इसलिए वो बहुत पैसा खर्च करते थे उनपर और इतना सारा पैसा मोसाद इन्हें देती थी सबको पैसा खिलाकर ये अपनी तरफ कर रहे थे और जो पैसा से नही मानते थे उनके लिए ये हनी ट्रैप का इस्तेमाल करते थे इनके पास बहुत सी लड़कियां थी जो इनके लिए काम करती थी इतना सब करने के बाद ये सीरिया गए और वहाँ पर सीरिया एम्बेसी में काम करने वाले अमाल अल हाफिज से बहुत अच्छी दोस्ती कर लिया और बाद में 1963 में हाफिज सीरिया के राष्ट्रपति बने और फिर कोहेन ने अपने रिश्ते और भी मजबूत कर लिये। इनकी दोस्ती अब एकदम पक्की हो गई थी।
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यहाँ तक कि जब वे राष्ट्रपति बने तो एली कोहेन को सुरक्षा मंत्री नियुक्त करने की मांग कर दी थी और वो ये भी चाहते थे कि मेरे बाद कोहेन ही सीरिया के राष्ट्रपति बनेंगे और कहा जाता है शायद कोहेन जिंदा होते तो वो राष्ट्रपति भी बन जाते एली कोहेन अमाल अल हफज की पार्टी को बहुत ज्यादा फंड करते थे और उस समय इस पार्टी की ही सरकार आ गयी थी इसीलिए आप समझ सकते हैं की उस समय अली कोहेन का कद कितना बड़ा था।ये सीधे सीरिया सरकार के सम्पर्क में थे।
कोहेन का घर सीरिया की राजधानी दमिश्क में था ये बहुत ही आलीशान घर था और इनके घर मे बहुत खतरनाक चीजें मौजूद थी क्योंकि ये इजराइल से सम्पर्क करने के लिये बहुत ही खुफिया तकनीक का इस्तेमाल करते थे।इनको पकड़े जाने का भी भय था इसिलिये ये अपने साथ सायनाइड की एक छोटी सीसी भी रखते थे ताकि कुछ भी हो तो वो उसे पीकर खुद को आसान मौत दे शके इनका घर घर नही था बल्कि उनका जासूसी अड्डा था।जब जब कोई प्लान सीरिया बनाता था तो ये तुरंत उसकी खबर पहले ही इजराइल को पहुंचा देते थे।
◆ गोलन हाइट (Golan Height)
गोलन हाइट का 30% पानी इजराइल को जाता है लेकिन सीरिया ने प्लान बनाया की इसे दूसरी तरफ भेज दिया जाय ताकि इजरायली प्यासे मरे ।लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि इसकी खबर कोहेन ने पहले ही कर दी थी। सीरिया के गोलन हाइट पर जाना इनके लिए आसान नहीं था इसके लिए कोहेन ने एक चाल चली की वो गोलन हाइट पर यूकेलिप्टस के पेड़ लगाएंगे इसकी अनुमति वहां की सरकार ने दे दिया । लेकिन इन्होंने पेड़ों को बहुत ही खास तरीके से लगाया हर पेड़ किसी न चीज़ की ओर संकेत कर रहा था उन्होंने पेडों को नक्से की तरह लगाया था। और जब 1967 में Six Day War हुआ तो इजरायल की सेना ने इन्ही यूकेलिप्टस के पेड़ों की सहायता से सीरिया के सभी आर्मी अड्डों और टोप खानो को उड़ा दिया इस जंग में पूरा गोलन हाइट इजराइल के कब्जे में आ गया था।
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◆ मृत्यु कैसे हुई ?
नवम्बर 1964 में ये इजराइल अपने परिवार से मिलने आये तब इन्हें बहुत खतरा था लेकिन इन्हें लग रहा था कि राष्ट्रपति तो मेरे दोस्त हैं वहाँ की सरकार इनके अधीन काम करती है कोई मेरा क्या बिगाड़ेगा। लेकिन इतना अधिक आत्म विश्वास इनके अंत का कारण बना उस समय कोई भी छोटा सा युद्ध हो रहा था तो भी हमेशा इजराइल ही जीतता था इसीलिए सीरिया की सरकार को शंका होने लगी कि हमारी सभी खुफिया इंफॉर्मेशन लीक हो रही हैं वर्ना जो हम प्लान करते हैं उसकी जानकारी इजराइल पहले कैसे पा जाता है
इसके बाद सोवियत संघ द्वारा दी गयी आधुनिक जासूस ट्रैक मसीन की मदद से जनवरी 1965 में एली कोहेन को पकड़ लिया गया और सीरिया की सरकार ने इन्हें फांसी की सजा सुनाया इन्हें पकड़ने के बाद ख़ूब टॉर्चर भी किया गया सारे नाखून उखाड़ लिये गए शरीर कि सभी हड्डियों को तोड़ दिया गया था
इनके पकड़े जाने पर इजराइल ने सीरिया को चेतावनी दी कि वो उसे छोड़ दें नही बदले के लिये तैयार रहना इसमें अमेरिका , फ्रांस ,इटली,इंग्लैंड आदि देशों ने भी कहा कि वो उन्हें कुछ न करे छोड़ दे।इजराइल ने दया याचिका भी दी उससे जितना हो सकता था उसने पूरी कोशिश की लेकिन सीरियाई आर्मी ने किसी की भी नही सुनी और 18 मई 1965 को सरेआम बीच चौराहे पर इनको फाँसी दी गई नीचे आप फोटो में देख सकते है कि किस प्रकार उनके साथ सुलूक किया था सीरिया की सरकार ने।
यहाँ तक कि इनके शरीर को भी उन लोगों ने इनके परिवार को नहीं सौंपा। एली कोहेन के शरीर का क्या हुआ कोई नहीं जानता ।
इजराइल के वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की प्रेरणादायक कहानी
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