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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन की पूरी कहानी | Biography of Narendra Modi | narendra modi biography in hindi | Narendra Modi In hindi

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14th Prime minister of india
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भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत ही गरीब परिवार से उठकर राजनीति में एक अच्छा मुकाम हासिल किया है
इनको चाय वाला प्रधानमंत्री भी बोला जाता है ।
एक तबके को ये बहुत ज्यादा पसन्द आते हैं
और एक तबका इनसे  ज्यादा खुश नहीं रहता


आइये देखते हैं इनकी पूरी कहानी।


◆ प्रारंभिक जीवन (Early life)
इनका जन्म 17 सितम्बर 1950 में वडनगर मेहसाना जिला , गुजरात में हुआ था  ये स्वतंत्र भारत मे जन्मे प्रथम प्रधानमंत्री हैं इनके पिता का नाम दामोदर दास मूलचन्द मोदी था जोकि वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान चलाते थे इनकी माता का नाम हीराबेन मोदी है।
बचपन में ये चाय बेचने में अपने पिता की मदद करते थे। और बाद में ये अपने चाचा के यहाँ पर रहने चले गए थे तो वहाँ पर भी ये अहमदाबाद बस स्टेशन पर चाय ही बेंचते थे
चाय से इनका नाता बहुत गहरा है और इन्हें चाय बहुत पसंद भी है। ये चाय बेचने के साथ स्कूल भी जाते थे इनकी दुकान के सड़क उस पार ही इनका सरकारी स्कूल था इसलिए इन्हें आने जाने में असानी होती थी ये पढ़ाई में हमेशा से एक सामान्य विद्यार्थी रहे हैं।

Prime minister of india
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जब ये 8 साल के हुए तो इन्होंने RSS (Rashtriya Swayamsevak Sanghज्वाइन कर लिया और  महज 8 वर्ष की उम्र में RSS में सेवा देना शुरू कर दिया था
RSS में इनकी मुलाकात इनके राजनीतिक गुरु लक्ष्मण राव इनाम दार से हुई इन्हे लोग  वकील साहब भी बोलते थे
इसके बाद मोदी जी ने बाल स्वयं सेवक संघ में सेवा देना शुरू कर दिया इनकी शादी बचपन में ही जबरदस्ती जसोदाबेन नामक लड़की से तय कर दी गयी थी लेकिन ये शादी नहीं करना चाहते थे और इसीलिए ये घर छोड़कर भाग गए।
ये बहुत ही आध्यात्मिक थे इसलिए 1967 में घर छोड़ने के बाद ये सीधे हिमालय पहुंच गए उसके बहुत से आश्रमों में रहे कोलकाता गए असम गए और इसी तरह 2 साल तक ये घूमते रहे इनके परिवार में कोई नहीं जानता था कि ये कहाँ पर हैं  और दो साल बाद 1969 में अपने घर वापस आ गए।

Narendra modi
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और जब ये लौटे तो खूब बढ़ी बड़ी दाढ़ी बढ़ा ली थी और पूरी तरह से एक सन्यासी की वेशभूषा में आये थे और कुछ दिनों तक घर में रहे उसके बाद इनके घर के लोग फिर से शादी का दबाव बनाने लगे इसलिए ये अहदाबाद अपने चाचा के पास आ गए और अहदाबाद बस स्टैंड पर चाय बेचने लगे और कुछ दिनों के बाद इन्होंने एक साइकिल खरीद लिया और फिर उसी साइकिल से गीता मंदिर के आसपास चाय बेंचते थे और इस मंदिर के बगल में ही RSS  का एक हेडक्वॉर्टर था तो वहाँ RSS के लोगों का आना जाना लगा रहता था और वही पर एक दिन फिर इनकी मुलाकात इनाम दार से दोबारा हुई तो इनाम दार ने इनसे कहा तुम पूरी तरह से RSS में शामिल हो जाओ।और तब ये उसी समय से पूरी तरह से RSS के प्रचारक बन गए और इन्हीं दिनों ये Open Learning at University of Delhi राजनीति विज्ञान से Bachelor of Art की डीग्री ले चुके थे।

Narendra modi
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◆ प्रारंभिक राजनीतिक जीवन
जून 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने भारत में आपातकाल लगा दिया था और उसके बाद जितने इंदिरा विरोधी लोग थे सब गुजरात में इकट्ठा हुए क्योंकि ये एक प्रकार से कांग्रेस विरोधी गढ़ था और यहाँ पर मोदी जी का काम था की जैसे लोग आए सबको पर्चे दो और प्लान के बारे में बताव की इस आपातकाल में हमें क्या करना है
इसी तरह RSS में इनका कद धीरे धीरे करके बढ़ रहा था
और गुजरात में ये बहुत बड़े नेता बन गए थे और
इनके साथ के कार्यकर्ता इन्हें हीरो मानने लगे थे।

जब 1986 में लालकृष्ण आडवाणी बी जे पी के अध्यक्ष बने तो मोदी जी की कार्य क्षमता और लगन को देखकर उन्होंने मोदी जी को BJP के Organising Secretary पद पर नियुक्त कर दिया इस पद पर ये 1987 तक रहे और कई सारी यात्राओं को व्यवस्थित रूप से सफल बनाया
इसमें सबसे महत्वपूर्ण थी लालकृष्ण आडवाणी की "राम रथ यात्रा" और 1991-92 में कन्याकुमारी से जम्मू कश्मीर तक
कि मुरली मनोहर जोशी की "एकता यात्रा"
इन सबको सफल बनाया ।

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◆ गुजरात के मुख्यमंत्री
गुजरात 1998 का चुनाव हुआ इसमें  बीजेपी को 182 सीट से बहुमत प्राप्त हुआ और उसके बाद उस समय के सबसे बड़े नेता केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया
लेकिन शंकर सिंह बघेला ये भी उस समय के बड़े ही वरिष्ठ बी जे पी नेता थे इन्होंने विद्रोह कर दिया ये कह रहे थे सबसे वरिष्ठ नेता मैं हूँ इसीलिए मुझे गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया जाय इन्हें सब मना रहे थे कि शांत रहो अगली बार तुम मुख्यमंत्री बन जाना इसपर शंकर बघेला ने एक शर्त रख दी कि अगर मोदी जी को गुजरात से बाहर भेजा जाय तो मैं विद्रोह को समाप्त कर दूंगा क्योंकि उस समय मोदी जी से बहुत से लोग उनकी तरक्की के कारण उनसे ईर्ष्या करने लगे थे
उसके बाद मोदी जी को दिल्ली का जनरल सेक्रेटरी बना कर भेज दिया गया इससे मोदी जी नाखुश थे क्योंकि वे गुजरात में रहना चाहते थे

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और मोदी जी कुछ सालों तक दिल्ली में रहे उसके बाद साल 2001 में गुजरात के भुज में एक भूकंप आया जिसमे भारी जानमाल का नुकसान हुआ और इसी कारण केशुभाई पटेल पर बहुत से आरोप लगे क्योंकि वे लोगों को सुरक्षित करने में असफल हुुये थे इसलिए इन्हें अपने पद से इस्तीफा देने को भी कहा गया अब BJB नया मुख्यमंत्री तलाश करने लगी और  नाम चुना गया नरेंद्र मोदी का क्योंकि ये उस समय तक एक अच्छे नेता हो गए थे।
और फिर 3 अक्टूबर 2001 को केशुभाई पटेल को पद से हटा दिया गया और इनकी जगह पर यंगेस्ट मोदी जी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई

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◆ गुजरात दंगे
ये इनका बहुत ही बुरा समय था इसमें इनके ऊपर बहुत से दाग धब्बे लगाए गए
27 फरवरी 2009 को गोधरा में साबरमती के दो डिब्बों में आग लगा दी गयी थी जिसमे अयोध्या जाने वाले यात्री बैठे हुए थे इसमें 60 लोगों की मौत हो गयी थी । इसके बाद गुजरात के जगह जगह पर हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए इन दंगों में 750 से ज्यादा मुस्लिम और 250 से ज्यादा हिंदुओं की जान गई थी इसमें मोदी सरकार पर बहुत से गंभीर आरोप लगे और मोदी जी को मुख्यमंत्री पद से हटने को कहा गया उसके बाद मोदी जी ने BJP को इस्तीफा सौंप दिया
लेकिन फिर मोदी के समर्थन वालों ने दबाव बनाया इससे इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया

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जब 2002 में  गुजरात चुनाव हुआ तो BJP पूरी बहुमत से आई और फिर मोदी जी ने गुजरात में बहुत से काम किया
और इन्होंने गुजरात में गुजरात मॉडल लाया लेकिन यहाँ पर ये कृषि में कुछ खास प्रगति न कर पाए और इसीलिए इन्हें कहा जाता है कि तुमने गुजरात में कुछ विकास नहीं किया क्योंकि गुजरात तो पहले ही एक विकसित राज्य था वहाँ तुमने क्या किया ऐसे बहुत से सवाल उठते हैं।

◆ लोकसभा चुनाव
2009 के चुनाव हो चुके थे इसमें BJP हार गयीं थी और कांग्रेस की जीत हुई थी
इसके बाद 2012 के असेम्बली इलेक्शन में मोदी जी ने कमाल किया इसमें BJP की बंपर जीत हुई   182 सीट में 115 सीटें पाकर अपनी बहुमत पेश किया

और 2013 में मोदी जी को 2014 लोकसभा चुनाव के लिये तैयार किया गया
फिर मोदी जी ने हजार से ज्यादा रैलियां की इसमें कांग्रेस और बीजेपी के मध्य खूब आरोप और प्रत्यारोप का दौर चला।
लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी की जीत हुई इसमें बीजेपी को 282 सीट मिली।

मोदी जी का उस समय का मुद्दा था सबका साथ सबका विकास और इसी मुद्दे पर वो चुने के भी आए
26 मई 2014 को राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की सपथ ग्रहण किया।

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◆ प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री बनने के बाद नवंबर 2014 को 21 नए मंत्रियों को कॉउंसिल में जोड़ा  क्योंकि मोदी जी का मानना था भारत जैसे बड़े और घनी आबादी वाले देश को चलाने के लिए हमारी जो टीम हो वो बहुत ही योग्य होनी चाहिए

◆ वित्तीय नीतियाँ
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने बहुत सी नीतियों को लांच करना शुरू कर दिया
इन्होंने शुरूआती समय में भारत की GDP (Grass Domestic Product) पर खास ध्यान दिया और इनके शुरुआत के पहले वर्ष में GDP 7.5 तक बढ़ी थी।
इनके ऊपर सबसे ज्यादा ये आरोप लगता रहा है कि ये शिक्षा के क्षेत्र में और कृषि के क्षेत्र में कुछ नहीं करते हैं और यही आरोप इनपर गुजरात में भी लगता था।

इसके बाद 9 नवंबर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर बोल दिया कि आज से 500 और 1000 के नोट नहीं चलेंगे।
ये इन्होंने कालाधन को लाने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए किया था और बाद में RBI Resurve Bank of Indiaने कहा कि 99% रुपया बैंक में आ गया है 
लेकिन इसपर भी कुछ लोगों का कहना है कि नोटबन्दी से हमे कुछ खास फायदा नही हुआ है
ये GST भी लेकर आये जिससे सभी direct - Indirect Tax को हटाकर GST कर दिया गया।
GST आने के बाद बड़ी कंपनीयो को बहुत अधिक लाभ हुआ लेकिन  छोटे व्यपारी को बहुत ज़्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा
इन्होंने ही 23 सितंबर 2018 को "आयुष्मान भारत योजना' को भारत में लेकर आये
जिससे बहुत से बहुत गरीब लोगों को इस योजना से जोड़ा गया

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